यीशु मसीह की कहानी हिंदी में | Yeshu masih ki kahani in hindi

येशु/ईसू मसीह की कहानी | Yeshu masih ki kahani in hindi 

Yeshu masih ki kahani in hindi : आज जनसंख्या की तुलना मे दुनिया का सबसे बडा धर्म इसाई यांनी ख्रिश्चन धर्म हैं. इसाईयो का सबसे बडा त्योहार ख्रिसमस पर्व को पूरी दुनिया मै धूम धाम से मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इसी दिन परमेश्वर के पुत्र येशु मसीह का जन्म हुआ था। जिन्हे दुनिया भर में जीसस क्राइस्ट और ईसा मसीह के नाम से भी जाना जाता है। 

आज के इस आर्टिकल मै हम ईसाई धर्म के संस्थापक येशु मसीह की जानकारी जानने वाले है जानेंगे कि की येशु मसीह कौन थे और अपने जीवन काल में उन्होंने क्या कार्य किया।।


Yeshu masih ki kahani in hindi

ईसू मसीह - Jesus Christ / yeshu masih ki kahani in hindi 

आज से करीब 2020 वर्ष पूर्व 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म फिलिस्तीन मै जेरूसलम के बेथलेम नामक गाव मै हुआ था। उनके पिता का नाम जोसफ और मा का नाम मरियम था। येशु के जन्म से पूर्व मरियम और जोसफ नाजरथ जो की आज के इजरायल मै है उस शहर मै रहते थे। दोस्तो जिस प्रकार महाभारत मै महर्षि दुर्वासा द्वारा कुंती को कर्ण के जन्म का वरदान मिला था ठीक उसी प्रकार मरियम को एक दिन स्वर्गदुत गैब्रियल ने दर्शन दे कर कहा कि "प्रणाम, कृपापूर्ण प्रभु आपके साथ है, जल्द ही आप ईश्वर की माता बनने वाली हैं। प्रभु के दूत गैब्रियल का यह संदेश सुनकर मरियम और जोसफ प्रसन्न हुए। 


कुछ महीनों के बाद राजा के आदेश पर उन्हें जनगणना के लिए जेरूसलम जाना पड़ा। किन्तु रात्रि बिताने के लिए जगह न मिलने के कारण उन्होंने घोड़ों के अस्तबल मै रात बिताने का निर्णय लिया। इसी अस्तबल मै अर्ध रात्रि के समय येशु का जन्म हुआ। उस काल मै यहूदियों का राजा महान रोमन हेरोद था। हेरोद बेहद क्रूर और अत्याचारी शासक था। जब ईसा मसीह का जन्म हुआ उस रात खेतों में कुछ गडरिए भेड़ों के झुंड की रखवाली कर रहे थे। एक फरिश्ते ने उनके सामने आकर ईश्वर के पुत्र के जन्म की बात कही। तब वे सभी भगवान येशु मसीह के दर्शन करने पहुंच गए। इसके उन्होंने यह बात पुरे राज्य मै फैला दी। कुछ समय बाद पूर्वी देश के 3 सज्जन आदमियों को आसमान में एक तारा दिखा इस तारे को क्रिसमस का तारा भी कहा जाता है। इस तारे का पीछा करते हुए वे सज्जन चल पड़े। चलते चलते वे जुड़िया के रहा हेरोद के पास जाकर पहुंचे जब हेरोद को पता चला कि यहूदियों का नया राजा जन्म ले चुका है तब उसने उन सज्जनों से कहा कि वे येशु को पूजना चाहते है इसलिए वापस लौटते वक्त वे यीशु के स्थान का पता बता कर जाए। 


लेकिन परमेश्वर के दूत ने उन तीनों को आकर सत्य बात बता दी तब वे बिना हेरोद को मिले है अपने गांव वापस चले गए। इधर दूसरी और हेरोद गुस्से से तिलमिला उठा और उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे बैथलेम जाकर सभी नवजात शिशुओं की हत्या कर दे। इधर बैथलेम मै उसी रात जोसफ को सपना आया कि राजा हेरोद ईसा मसीह को मारने के लिए आ रहा है इसलिए को अपने परिवार समेत जल्द से जल्द बैथलेम को छोड़कर इजिप्त चला जाए। सुबह होते ही जोसफ अपने परिवार के साथ इजिप्ट की और चल पड़ा। इसके बाद जब ईसा पूर्व 4 मै हेरोद की मृत्यु हुई तब वे अपने गांव नाजरथ लौट आए। 


यहां आने के बाद येशु ने अपने पिता से बढ़ई का काम सीख लिया। लगभग 30 साल की उम्र तक वे उसी गांव में रहकर भी बढ़ई का काम करते रहे। दोस्तो बाईबल मै ईसा मसीह के 13 से 29 वर्ष की उम्र मै क्या हुआ इसका उल्लेख नहीं किया गया है। लेकिन कहा जाता है इस समय मै वे भारत आए थे और भारत आकर उन्होंने शिक्षा ग्रहण की थी इसा मसीह कश्मीर के शालीवाहन राजा से भी मिले शालीवाहन ने जब उनके बारे में जाना तब उन्होंने ने उनसे कहा के वे अपने देश वापस जाकर लोगो को पवित्रता और क्षमा का महत्व समझाए। 

ईसा मसीह जेरूसलम जाकर लोगो को शिक्षा और प्रेम का संदेश देना आरम्भ किया। उन्होंने लोगो से कहा कि हम सभी परमेश्वर कि संताने है और हमें क्रोध में आकर बदला नहीं लेना चाहिए बल्कि अधिकाधिक क्षमा करना चाहिए। अपने जीवन काल मै उन्होंने कई चमत्कार किए। अनेक लोगो की बीमारियां प्रार्थना के जरिए ठीक की।


यीशु मसीह की मृत्यु कैसे हुई

इधर दूसरी और यहूदियों के धर्म गुरुओं ने ईसा मसीह का भरी विरोध शुरू कर दिया। ईसा का खुद को ईश्वर का पुत्र बताना उनके लिए भारी पाप था। और इस बात की शिकायत उन्होंने उस वक्त के रोमन गवर्नर पितालूस को कर दी। रोमनोको हमेशा यहूदियों की क्रांति का डर सताता था। इस कारण बहुसंख्य कट्टर पंथीयो को खुश करने के लिए पितालुस ने ईसा मसीह को कृस पर मौत की दर्दनाक सजा सुना दी। मृत्यु से पूर्व उनपर अनेक जुल्म ढाए गए। उन्हें कोडो से मारा गया। उनके सिर पर काटो का ताज पहनाया गया। हाथ और पैरों मै किल ठोककर उन्हें क्रॉस पर लटका दिया गया। यह दिन शुक्रवार का था। बाईबल के अनुसार मृत्यु के 3 दिन बाद ईसा पुनर्जीवित हो गए । इस घटना को इस्टर के रूप मै मनाया जाता है और इसके 40 दिन बाद वे सीधे स्वर्ग चले गए थे। 

कहा जाता है कि सूली पर 6 घंटे लटकने के बाद आखिर के 3 घंटों के दौरान पूरे राज्य मै अंधकार छा गया, फिर एक जोरदार चीख आयी और इसी के साथ प्रभु ने अपने प्राण त्याग दिए। कहते है कि जब प्रभु ने अपने प्राण त्यागे तब एक तेज जलजला आया। कब्रो की कपाटे टूटकर खुल गई। पवित्र मंदिर का पर्दा नीचे तक फटता चला गया। 

ईसाइयों के अनुसार क्रूस पर मरते समय ईसा मसीह ने सभी इंसानों के पाप अपने ऊपर ले लिए। उनके ऊपर अत्याचार करने वाली को भी उन्होंने क्षमा कर दिया। येशु महान आत्मा थे उन्होंने दुनिया को प्यार और क्षमा का संदेश दिया। आइए हम सब भी ईसा मसीह के इस संदेश का अनुसरण कर परिवार, समाज और संपूर्ण मानव जाति का कल्याण करें।


यीशु मसीह की कहानी वीडियो



तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने पढ़ा की ईसू मसीह कौन थे और यीशु मसीह की कहानी क्या थी | उम्मीद करता हु की आपको Yeshu masih ki kahani in hindi पसंद आयी होगी। कोई सुझाव हो तो कमेंट करके जरूर बताये। 

यीशु मसीह की कहानी हिंदी में | Yeshu masih ki kahani in hindi यीशु मसीह की कहानी हिंदी में | Yeshu masih ki kahani in hindi Reviewed by Mohit patil on दिसंबर 23, 2020 Rating: 5

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