शकुनि था कौरवों का सबसे बड़ा दुश्मन। Story of shakuni mama in Hindi

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         नमस्कार आज हम आपको बताने वाले है महाभारत के एक ऐसे पात्र के बारे में जो भलेही महाभारत युद्ध मैं ना लड़ा हो पर इस युद्ध को कराने में उसका सबसे बड़ा योगदान था.... जी हां हम बात कर रहे हैं मामा शकुनि की शकुनी धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी का भाई और कौरवों का मामा था जिसका अधिकांश समय अपने बहन के ससुराल में बीता।


         शकुनी जुआ खेलने में बहुत ही कुशल था, उसके पासे उसकी इच्छा से चलते थे और इन्हीं पासो की मदद से उसने इतने बड़े युद्ध को अंजाम दिया लेकिन क्या हो अगर आपसे कहे कि शकुनि के सबसे बड़े दुश्मन पांडव नहीं बल्कि कौरव थे। जी हां दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं महाभारत से जुड़ी एक दंतकथा जिसका जिक्र महाकाव्य महाभारत में तो नहीं मिलता किंतु इसे कई विद्वानों द्वारा बताया जाता है।




शकुनि की कहानी (shakuni mama in hindi)-


           यह तब की बात है जब पितामह भीष्म गांधार नरेश सुमन के पास उनकी पुत्री गांधारी से धृतराष्ट्र के विवाह का प्रस्ताव लेकर गए। किंतु विवाह से पूर्व गांधारी के माता-पिता को एक ज्योतिषी ने बताया था कि जिस भी व्यक्ति से गांधारी का विवाह होगा उसकी मृत्यु हो जाएगी इसी कारण उन्होंने किसी को बताए बिना गांधारी का विवाह एक बकरे से करा दिया और बाद में उस बकरे की बलि देदी।


             इसके बाद उन्होंने भीष्म का प्रस्ताव मानकर गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से कर दिया। लेकिन जब धृतराष्ट्र को यह पता चला कि गांधारी का विवाह पहले ही बकरे से हो चुका है तब वह क्रोधित हो गया और उसने गांधार परिवार को कारागृह में डाल दिया। कौरवो की तरह राजा सुमन के भी 100 पुत्र थे। सभी को जेल में डाल कर धृतराष्ट्र उन्हें सिर्फ एक मुट्ठी चावल देने लगा। सौ पुत्र होने के कारण हर किसी को सिर्फ एक ही चावल का दाना मिलने लगा। राजा सुमन जान गए कि धृतराष्ट्र उन्हें भूख से मार डालना चाहता है उन्होंने अपने सभी पुत्रों को यह बात बताई और धृतराष्ट्र से बदला लेने के लिए उन्होंने अपने छोटे पुत्र को जिंदा रखने का निश्चय किया। इसके बाद वे सभी अपना खाना उस छोटे पुत्र को खिला देने लगे, यह छोटा पुत्र था शकुनी।


          जब राजा सुमन के सभी पुत्रों एक-एक कर मरने लगे और जब उन्हें लगा कि अब वे भी मरने वाले हैं तब उन्होंने  शकुनी से कहा कि मेरे मरने के बाद मेरी रीड की हड्डी से एक शक्तिशाली और जादुई पासा बनाना। जिसको जब भी तुम घूमाओगे वह वही संख्या दिखाएगा जो तुम चाहोगे। इतना कहकर राजा सुमन ने शकुनि के पैर की हड्डी तोड़ दी ताकि उसे अपने परिवार का दर्द हमेशा याद रहे।




           इसके बाद जब दुर्योधन ने देखा कि राजा सुमन और उसके सभी पुत्र मर गए हैं सिर्फ शकुनी ही जीवित बचा है तब वह शकुनी से प्रभावित हो गया और उसने उसे रिहा कर दिया। लेकिन शकुनी ने अपने राज्य वापस जाने के बजाय हस्तीनापूर मैं ही रहकर अपने परिवार कि मृत्यु का बदला लेने का सोचा और फिर उसने दुर्योधन को अपना मोहरा बनाकर पांडवों के खिलाफ भड़काना शुरू किया।


            अपने जादुई पासों के कारण वह चौसर खेलने में काफी प्रवीण था पांडव के प्रति दुर्योधन के मन में चल रही बदले की इस भावना को शकुनि ने हवा दी और इसी का फायदा उठाते हुए उसने पासों का खेल खेलने की योजना बनाई। उसने अपनी योजना दुर्योधन को बताई और कहा कि तुम इस खेल में हराकर बदला ले सकते हो। खेल के जरिए पांडवों को मात देने के लिए शकुनि ने बड़े प्रेम भाव से सभी पांडु पुत्रों को खेलने के लिए आमंत्रित किया और फिर शुरू हुआ दुर्योधन व युधिष्ठिर के बीच पासा फेंकने का खेल और इस खेल में शकुनि के कारण दुर्योधन की जीत हुई। पांडवो और द्रोपदी के हुए अपमान के कारण ही कुरुक्षेत्र के युद्ध की नींव यही से रखी गई।

            तो यह थी मामा शकुनि की कहानी story of (mama shakuni mahabharat) अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप हमारे ब्लॉग को फॉलो कर सकते हैं। shakuni mama in hindi

इस कहानी की वीडियो में जानकारी नीचे दी गई है-


शकुनि था कौरवों का सबसे बड़ा दुश्मन। Story of shakuni mama in Hindi शकुनि था कौरवों का सबसे बड़ा दुश्मन। Story of shakuni mama in Hindi Reviewed by Mohit patil on अप्रैल 14, 2020 Rating: 5

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