भगवान विष्णु के वराह अवतार की कहानी। varaha avatar story in hindi.
जानिए विष्णुजी के तृतीय अवतार वराह अवतार की कहानी। (Story Third avatar of lord Vishnu in hindi. Varaha avatar story in hindi)
भगवान विष्णु का तृतीय अवतार वराह अवतार माना जाता है। आज हम भगवान विष्णु के वराह अवतार के बारे में जानकारी जानने वाले हैं।
इस अवतार मै भगवान विष्णु का मुख शूकर का और शरीर मनुष्य का था। इस अवतार के जन्म से जुड़ी कथा कुछ इस प्रकार है दरअसल पुराने समय मै हिरण्याक्ष तथा हिरण्यकश्यप नाम के दो राक्षसों का जन्म हुआ। हिरण्याक्ष ने ब्रह्माजी कि तपस्या की उसके तप से ब्रह्मदेव प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे वरदान दिया की वो देव, दानव तथा मानव इनमें से किसी से भी पराजित नहीं होगा और नहीं किसी युद्ध मै मारे जाएंगे। इस वरदान के मिलने बाद तो उन दोनों का अत्याचार और भी बढ़ने लगा। उन्होंने इंद्रलोक पर भी अपना कब्जा कर लिया। इसके बाद हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र मै जाकर छिपा दिया। जब ऋषि मुनियों ने भगवान विष्णु से पृथ्वी को पुनः अपने स्थान पर लाने की प्रार्थना तब ब्रह्मा जी के नाक से भगवान विष्णु वराह रूप मै अवतरित हुए। सबके आग्रह पर भगवान ने पृथ्वी ढूंढ़ना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया।
इसके बाद उसने देवर्षि नारद के पास जाकर भगवान नारायण का पता पूछा। देवर्षि नारद ने उसे बताया कि नारायण इस समय वराह का रूप धारण कर पृथ्वी को रसातल से निकालने के लिये गये हैं। यह सुनकर हिरण्याक्ष रसातल में पहुँच गया। वहाँ उसने देखा भगवान वराह अपने दाढ़ पर रख कर पृथ्वी को ऊपर ला रहे थे।
पर भगवान विष्णु ने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए रसातल से बाहर निकलकर धरती को समुद्र के ऊपर स्थापित कर दिया। हिरण्याक्ष उनके पीछे लगा हुआ था। अपने वचन-बाणों से उनके हृदय को बेध रहा था। भगवान विष्णु ने धरती को पानी से बाहर ले आये और तब हिरण्याक्ष की ओर ध्यान दिया।
लेकिन हिरण्याक्ष अब भी भगवान को अपशब्द बोले जा रहा था। भगवान को अब क्रोध आ गया। भगवान बोले की बेकार की बात करनी आती है या युद्ध करना भी आता है। मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूं। तुम क्यों नहीं मुझ पर आक्रमण करते? बढ़ो आगे, मुझ पर आक्रमण करो।
हिरण्याक्ष की रगों में बिजली दौड़ गई। वह हाथ में गदा लेकर भगवान विष्णु पर टूट पड़ा। भगवान के हाथों में कोई अस्त्र शस्त्र नहीं था। उन्होंने दूसरे ही क्षण हिरण्याक्ष के हाथ से गदा छीनकर दूर फेंक दी। हिरण्याक्ष को इतना क्रोध आया कि वह हाथ में त्रिशूल लेकर भगवान विष्णु की ओर झपटा। भगवान वराह और हिरण्याक्ष मे मध्य भयंकर युद्ध होने लगा।
भगवान विष्णु ने शीघ्र ही सुदर्शन का आह्वान किया, चक्र उनके हाथों में आ गया। उन्होंने अपने चक्र से हिरण्याक्ष के त्रिशूल के टुकड़े-टुकड़े कर दिये।
युद्ध में जब भगवान विष्णु हिरण्याक्ष को बहुत नचा चुके, तो उन्होंने उसकी कनपटी पर कस कर एक चपत जमाई। उस चपत से उसकी आंखें निकल आईं।
वह धरती पर गिरकर निश्चेष्ट हो गया और अन्त में हिरण्याक्ष का भगवान वराह के हाथों वध हो गया।
दोस्तो हिरण्याक्ष का वध करने के लिए ही भगवान वराह अवतरित हुए थे। और इसके बाद वै अन्तर्ध्यान हो गए।
वीडियो देखे-
भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि जब जब धरती पर पाप बढ़ता है तब तब वे यानि भगवान विष्णु धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। आज तक भगवान विष्णु की नौ धरती पर हो चुके हैं। इनमें पहला अवतार मत्स्य अवतार तथा दूसरा अवतार कूर्म अवतार हे।
भगवान विष्णु का तृतीय अवतार वराह अवतार माना जाता है। आज हम भगवान विष्णु के वराह अवतार के बारे में जानकारी जानने वाले हैं।
इस अवतार मै भगवान विष्णु का मुख शूकर का और शरीर मनुष्य का था। इस अवतार के जन्म से जुड़ी कथा कुछ इस प्रकार है दरअसल पुराने समय मै हिरण्याक्ष तथा हिरण्यकश्यप नाम के दो राक्षसों का जन्म हुआ। हिरण्याक्ष ने ब्रह्माजी कि तपस्या की उसके तप से ब्रह्मदेव प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे वरदान दिया की वो देव, दानव तथा मानव इनमें से किसी से भी पराजित नहीं होगा और नहीं किसी युद्ध मै मारे जाएंगे। इस वरदान के मिलने बाद तो उन दोनों का अत्याचार और भी बढ़ने लगा। उन्होंने इंद्रलोक पर भी अपना कब्जा कर लिया। इसके बाद हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र मै जाकर छिपा दिया। जब ऋषि मुनियों ने भगवान विष्णु से पृथ्वी को पुनः अपने स्थान पर लाने की प्रार्थना तब ब्रह्मा जी के नाक से भगवान विष्णु वराह रूप मै अवतरित हुए। सबके आग्रह पर भगवान ने पृथ्वी ढूंढ़ना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया।
इधर दूसरी और हिरण्याक्ष वरुण देव के पास गया, उसने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा इस पर वरुण देव शांत भाव से बोले,’तुम महान योद्धा और शूरवीर हो।तुमसे युद्ध करने के लिए मेरे पास शौर्य कहां? तीनों लोकों में भगवान विष्णु को छोड़कर कोई भी ऐसा नहीं है, जो तुमसे युद्ध कर सके। अतः उन्हीं के पास जाओ। वे ही तुम्हारी युद्ध पिपासा शांत करेंगे।’
इसके बाद उसने देवर्षि नारद के पास जाकर भगवान नारायण का पता पूछा। देवर्षि नारद ने उसे बताया कि नारायण इस समय वराह का रूप धारण कर पृथ्वी को रसातल से निकालने के लिये गये हैं। यह सुनकर हिरण्याक्ष रसातल में पहुँच गया। वहाँ उसने देखा भगवान वराह अपने दाढ़ पर रख कर पृथ्वी को ऊपर ला रहे थे।
उस महाबली दैत्य ने वराह भगवान से कहा, “अरे जंगली पशु! तू जल में कहाँ से आ गया है? मूर्ख पशु! तू इस पृथ्वी को कहाँ लिये जा रहा है? इसे तो ब्रह्मा जी ने हमें दे दिया है। रे अधम! तू मेरे रहते इस पृथ्वी को रसातल से नहीं ले जा सकता। तू दैत्य और दानवों का शत्रु है इसलिये आज मैं तेरा वध कर डालूँगा।”
पर भगवान विष्णु ने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए रसातल से बाहर निकलकर धरती को समुद्र के ऊपर स्थापित कर दिया। हिरण्याक्ष उनके पीछे लगा हुआ था। अपने वचन-बाणों से उनके हृदय को बेध रहा था। भगवान विष्णु ने धरती को पानी से बाहर ले आये और तब हिरण्याक्ष की ओर ध्यान दिया।
लेकिन हिरण्याक्ष अब भी भगवान को अपशब्द बोले जा रहा था। भगवान को अब क्रोध आ गया। भगवान बोले की बेकार की बात करनी आती है या युद्ध करना भी आता है। मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूं। तुम क्यों नहीं मुझ पर आक्रमण करते? बढ़ो आगे, मुझ पर आक्रमण करो।
हिरण्याक्ष की रगों में बिजली दौड़ गई। वह हाथ में गदा लेकर भगवान विष्णु पर टूट पड़ा। भगवान के हाथों में कोई अस्त्र शस्त्र नहीं था। उन्होंने दूसरे ही क्षण हिरण्याक्ष के हाथ से गदा छीनकर दूर फेंक दी। हिरण्याक्ष को इतना क्रोध आया कि वह हाथ में त्रिशूल लेकर भगवान विष्णु की ओर झपटा। भगवान वराह और हिरण्याक्ष मे मध्य भयंकर युद्ध होने लगा।
भगवान विष्णु ने शीघ्र ही सुदर्शन का आह्वान किया, चक्र उनके हाथों में आ गया। उन्होंने अपने चक्र से हिरण्याक्ष के त्रिशूल के टुकड़े-टुकड़े कर दिये।
युद्ध में जब भगवान विष्णु हिरण्याक्ष को बहुत नचा चुके, तो उन्होंने उसकी कनपटी पर कस कर एक चपत जमाई। उस चपत से उसकी आंखें निकल आईं।
वह धरती पर गिरकर निश्चेष्ट हो गया और अन्त में हिरण्याक्ष का भगवान वराह के हाथों वध हो गया।
दोस्तो हिरण्याक्ष का वध करने के लिए ही भगवान वराह अवतरित हुए थे। और इसके बाद वै अन्तर्ध्यान हो गए।
वीडियो देखे-
- भगवान विष्णु के अन्य अवतारों की कहानी-
भगवान विष्णु के वराह अवतार की कहानी। varaha avatar story in hindi.
Reviewed by Mohit patil
on
सितंबर 11, 2020
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं: