भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की कहानी। Lord Vishnu Kurma avatar story in hindi
कूर्म या कच्छप यह विष्णु जी का कछुए का अवतार था। जिसमें भगवान कछुए के रूप में अवतरित हुए थे। आज हम आपको भगवान विष्णु के कूर्म अवतार कथा बताने वाले है (Kurma Avatar Story in hindi)
दरअसल इस कथा की शुरुआत ऋषि दुर्वासा के श्राप से होती है। एक बार देवताओं के राजा इंद्र अपने हाथी पर सवारी कर रहे थे तभी मार्ग में उन्हें ऋषि दुर्वासा मिले। जिन्होंने इंद्र को भगवान शिव द्वारा प्राप्त एक माला पहनाने की इच्छा प्रकट की। इंद्र ने प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए माला को अपने हाथी के गले में पहना दिया।
लेकिन कुछ ही समय बाद हाथी ने माला को नीचे जमीन पर गिरा दिया। यह सब देख ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने इंद्र समेत सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दिया।
इसके बाद असुरों के राजा बलि ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें पराजित कर दिया और स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया। इसके बाद सभी देवता गन भागते हुए भगवान विष्णु के पास गए और उन्होंने उनसे मदद मांगी। भगवान विष्णु ने देवताओं को समुद्र मंथन कर अमृत प्राप्त करने और उसका पान कर पुन: अपनी खोई शक्तियां अर्जित करने का सुझाव दिया। किंतु यह कार्य इतना भी आसान नहीं था ऋषि के श्राप के कारण देवता अत्यंत निर्बल हो चुके थे। अतः समुद्र मंथन करना उनके सामर्थ्य की बात नहीं थी।
इसके बाद देवताओं ने असुरों को समुद्र मंथन से मिलने वाले अमृत का लालच दिया। अमृत के लालच मे असुर देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने को सहमत हो गए। दोनों पक्ष क्षीर सागर पर आ पहुंचे, मंद्राचल पर्वत को मंथनी और वासुकि नाग को रस्सी के स्थान पर प्रयोग कर समुद्र मंथन प्रारम्भ हो गया। मंथन प्रारम्भ होने के थोड़े ही समय पश्चात् मंद्राचल पर्वत समुद्र में धंस कर डूबने लगा। तभी भगवान् विष्णु ने कूर्म अवतार धारण किया और मंद्राचल पर्वत के नीचे आसीन हो गए। उसके पश्चात् उनकी पीठ पर मंद्राचल पर्वत स्थापित हुआ और समुद्र मंथन आरम्भ हुआ। भगवान विष्णु का यह अवतार कछवे की तरह था इस कारण इसे कश्यप अवतार भी कहा जाता है।
लेकिन कुछ ही समय बाद हाथी ने माला को नीचे जमीन पर गिरा दिया। यह सब देख ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने इंद्र समेत सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दिया।
इसके बाद असुरों के राजा बलि ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें पराजित कर दिया और स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया। इसके बाद सभी देवता गन भागते हुए भगवान विष्णु के पास गए और उन्होंने उनसे मदद मांगी। भगवान विष्णु ने देवताओं को समुद्र मंथन कर अमृत प्राप्त करने और उसका पान कर पुन: अपनी खोई शक्तियां अर्जित करने का सुझाव दिया। किंतु यह कार्य इतना भी आसान नहीं था ऋषि के श्राप के कारण देवता अत्यंत निर्बल हो चुके थे। अतः समुद्र मंथन करना उनके सामर्थ्य की बात नहीं थी।
इसके बाद देवताओं ने असुरों को समुद्र मंथन से मिलने वाले अमृत का लालच दिया। अमृत के लालच मे असुर देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने को सहमत हो गए। दोनों पक्ष क्षीर सागर पर आ पहुंचे, मंद्राचल पर्वत को मंथनी और वासुकि नाग को रस्सी के स्थान पर प्रयोग कर समुद्र मंथन प्रारम्भ हो गया। मंथन प्रारम्भ होने के थोड़े ही समय पश्चात् मंद्राचल पर्वत समुद्र में धंस कर डूबने लगा। तभी भगवान् विष्णु ने कूर्म अवतार धारण किया और मंद्राचल पर्वत के नीचे आसीन हो गए। उसके पश्चात् उनकी पीठ पर मंद्राचल पर्वत स्थापित हुआ और समुद्र मंथन आरम्भ हुआ। भगवान विष्णु का यह अवतार कछवे की तरह था इस कारण इसे कश्यप अवतार भी कहा जाता है।
भगवान विष्णु के सहारे के कारण ही समुद्र मंथन संभव हो पाया और समुद्र से कई बहुमूल्य वस्तुएं भी मिली। इन सभी वस्तुओं को देवताओं तथा दानवों ने आपस में बांट लिया। समुद्र से मिले अमृत के कारण देवताओं को अपनी शक्तियों पुनः प्राप्त हुई।
वीडियो देखे-
- भगवान विष्णु के अन्य अवतारों की कहानी-
भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की कहानी। Lord Vishnu Kurma avatar story in hindi
Reviewed by Mohit patil
on
सितंबर 09, 2020
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