जानिए क्या है शरीर में स्थित कुंडलिनी शक्ति। kundalini shakti kya hai

कुंडलिनी शक्ति क्या है? kundalini shakti kya hai।

       इस धरती पर जन्में हर इंसान में सुप्त अवस्था में एक शक्ति कार्यरत होती है। इस शक्ति को हमारे शास्त्रों में कुंडलीनी शक्ति कहा गया है। कुंडलिनी को अंग्रेजी भाषा में सर्पन्ट पावर यानी कि सर्पशक्ति कहा जाता है और जब ध्यान और योग के माध्यम से इस शक्ति की जागृति की जाती है तब शरीर के सबसे निचले मूलाधार चक्र से होते हुए यह शक्ति सिर के तालू भाग में स्थित सहस्त्रार चक्र का भेदन कर परमेश्वर से एकाकारीता प्राप्त कराती है। 
        इस बात की अनुभूति साधक को शीतल चैतन्य के रूप में होती है। कुंडलिनी शक्ति जागृति से व्यक्ति को कई सारे लाभ भी होते हैं और इसी शक्ति के जागृत होने पर आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करना और भी आसान हो जाता है। 




कुंडलिनी शक्ति कहां से आती है?(What is kundalini shakti in Hindi)

        जब बालक मां के गर्भ में 2 से 3 महीनों का होता है तब परमेश्वरी चैतन्य की किरणे बच्चे के सिर के तालू भाग पर आकर गिरती है और क्योंकि इंसानी दिमाग का आकार एक लोलक की तरह होता है, तो ऐसे में लेफ्ट साइड से आई हुई किरणे परावर्तित होकर राइट साइड में पहुंच जाती है और जिससे पिंगला नाड़ी संस्था तैयार होती है। इसी तरह राइट साइड पर आई हुई किरणे लेफ्ट साइड में पहुंच जाती है और इससे ईडा नाड़ी संस्था तैयार होती है। इस तरह दोनों बाजू पर आई किरणों से ईड़ा और पिंगला नाड़ी या शरीर में तैयार होती है। अब इसके बाद जो किरणे सिर के मध्य भाग पर गिरती है वे वैसे ही नीचे की तरफ आती है और इससे सुषुम्ना नाड़ी संस्था तैयार होती है। अब जब तीनों नाडिया तैयार हो जाती है, तब बचे हुए चैतन्य की किरणे हमारी रीड की हड्डी के नीचे आखिर में "श्री कुंडलिनी शक्ति" के रूप में सुप्त अवस्था में रहती है। 



        जिन गुरुओं की कुंडलिनी पहले से ही जागृत है ऐसे समर्थ सद्गुरु के आशीर्वाद से साधक अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर सकता है। जब यह शक्ति जागृत होने लगती है तब रीड की हड्डी के आखिर में स्थित मूलाधार चक्र से उठकर यह शक्ति स्वाधिष्ठान, नाभि, अनाहत, विशुद्धी, आज्ञा और सहस्त्रार चक्र का भेदन करती है। जब कुंडलिनी सहस्त्रार चक्र पर पहुंचती है तब साधक को इसका अनुभव शीतल चैतन्य लहरियों के रूप में होता है। 
        इस अवस्था में चित्त जो कि बाह्य कि चीजों में लगा होता है वह एकाग्र होने लगता है, व्यक्ति अंतर्मुख होकर सहस्त्रार में स्थित हो जाता है। अब बहुत ही चीजों से उसका मोह हटने लगता है। ऐसा व्यक्ति आत्मा के प्रकाश में प्रकाशित होता है।
आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति को कुंडलिनी शक्ति की जागृति से कई सारे शारीरिक और भौतिक लाभ तो होते हि हैं। परंतु साथ ही आध्यात्मिक और आधिभौतिक ज्ञान की प्राप्ति भी होती है।
        यह थी कुंडलिनी शक्ति के बारे में कुछ थोड़ी सी जानकारी अगर आप इस शक्ति की जागृति और शरीर के सातों चक्रो की पूर्ण जानकारी पाना चाहते हैं तो इसके लिए हमने यूट्यूब पर वीडियो बनाकर डाली है। आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके हमारे चैनल को देख सकते हैं।


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जानिए क्या है शरीर में स्थित कुंडलिनी शक्ति। kundalini shakti kya hai जानिए क्या है शरीर में स्थित कुंडलिनी शक्ति। kundalini shakti kya hai Reviewed by Mohit patil on जुलाई 07, 2020 Rating: 5

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