महाभारत के 3 श्राप जिनका असर आज भी बना हुए है। Mahabharata curses in Hindi. curses in mahabharata

      दुनिया का सबसे बड़े महाकाव्य माने जाने वाला ग्रंथ महाभारत चमत्कार, रहस्य, वरदान और श्राप का एक लेखा-जोखा है। महाभारत में कई सारे श्राप और वरदानों का उल्लेख मिलता है। अधर्मीयों को उनके कर्मों के अनुसार श्राप देने का अधिकार हर उस व्यक्ति को था जो कि धर्म और सत्य का आचरण करता हो। वैसे तो महाभारत में आपको सैकड़ों श्राप और वरदान मिल जाएंगे लेकिन आज हम आपको तीन ऐसे प्रमुख श्रापों के बारे में बताएंगे जो कि महाभारत काल से लेकर आज तक इस धरती पर अपना प्रभाव बनाए हुए हैं।



1) युधिष्ठिर का स्त्री जाति को श्राप-
जब महाभारत युद्ध में कर्ण की मृत्यु की बात माता कुंती को पता चली तब वे उस स्थान पर पहुंची अपने जेष्ठ पुत्र का मृत शरीर देखकर वे जोर जोर से रोने लगी जब पांडवों ने अपनी मां को इस तरह विलाप करते हुए देखा तब वे सभी उनके पास गए और युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि माता आप अपने पुत्रों के शत्रु की मृत्यु पर आंसू क्यों बहा रही है? तब माता कुंती ने पांडवों को कर्ण के जन्म का राज बताया। कर्ण पांडवों का बड़ा भाई था यह बात सुनकर वे निराश हो गए उन्होंने अपने हाथों से अपने भाई का वध कर दिया था।

        इसके बाद शोकाकुल अवस्था में युधिष्ठिर ने समस्त स्त्री जाति को श्राप दे दिया कि आज के बाद कोई भी स्त्री किसी भी प्रकार का रहस्य ज्यादा समय तक नहीं छुपा पाएगी।
         युधिष्ठिर द्वारा दिए गए इस श्राप के कारण आज माना जाता है कि ज्यादातर औरतों के पेट में कोई भी बात नहीं रहती और वे हर चीज दूसरों को बता देती है।




2) परीक्षित को मिला श्राप और पृथ्वी पर हुआ कलयुग का आगमन-
महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने कुछ वर्षों तक हस्तिनापुर पर राज किया लेकिन इसके बाद उन्होंने राजपाट त्याग कर स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान करने का निर्णय। उन्होंने अपना संपूर्ण राज्य अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को सौंप दिया।

       परीक्षित पराक्रमी और एक अच्छे राजा थे। उनके शासनकाल में प्रजा भी खुश तथा सुखी थी, लेकिन एक बार राजा परीक्षित शिकार और वन भ्रमण पर गए वन में उन्होंने श्रमिक नामक ऋषि को मौन व्रत धारण किए तपस्या में लीन पाया। राजा ने उनसे बात करनी चाहिए लेकिन ऋषि ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद क्रोध में आकर राजा परीक्षित ने उनके गले में एक मृत सांप को डाल दिया। जब ऋषि शमिक के पूत्र श्रुगी को यह बात पता चली। तब उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि आज के 7 दिन बाद तक्षक नाग के डसने से राजा की मृत्यु हो जाएगी।
        कलयुग को संपूर्ण पृथ्वी पर राजा परीक्षित का भी भय था। लेकिन जब 7 दिन बाद नाग के डसने से राजा की मृत्यु हुई तब कलयुग पूरी पृथ्वी पर हावी हो गया और जिसका असर आज तक बना हुआ है।

3) भगवान कृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप- जब महाभारत युद्ध में पूरी कौरव सेना मारी जा चुकी थी और सिर्फ द्रोणाचार्य पुत्र अश्वत्थामा, कुलगुरू कृपाचार्य और कृतवर्मा ही जीवित बचे थे तब रात के समय अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों को पांडव समझकर छल से मार दिया। इसके बाद अश्वत्थामा का पीछा करते हुए पांडवो के साथ श्री कृष्ण वेद व्यास ऋषि के आश्रम जा पहुंचे। अश्वत्थामा को अमरता का वरदान प्राप्त था जब उसने पांडव को जीवित देखा तब उसने ब्रह्मास्त्र से पांडवों पर हमला कर दिया। अपने बचाव में अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया। वेदव्यास जी ने दोनों अस्त्रों के बीच में जाकर उन्हें टकराने से रोक लिया और कहा कि तुम्हारे इस कृत्य के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हो सकती है इसलिए उचित यही होगा कि तुम अपने अपने ब्रह्मास्त्र वापस ले लो। वेदव्यास जी की आज्ञा मानकर अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया परंतु अश्वत्थामा अस्त्र वापस लेने की विद्या नहीं जानता था इसलिए उसने अस्त्र की दिशा बदल कर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी।
        इस बात से क्रोधित होकर श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को कलयुग के अंत तक भटकने का श्राप दे दिया। और कहा कि तुम किसी भी जगह किसी से भी बातचीत नहीं कर पाओगे तुम्हारे शरीर से लहू की अजीब सी गंध आएगी और तुम दुर्गम वनों में ही पड़े रहोगे कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के इस श्राप के कारण अश्वत्थामा आज भी जंगलों में भटक रहे हैं।

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महाभारत के 3 श्राप जिनका असर आज भी बना हुए है। Mahabharata curses in Hindi. curses in mahabharata महाभारत के 3 श्राप जिनका असर आज भी बना हुए है। Mahabharata curses in Hindi. curses in mahabharata Reviewed by Mohit patil on जुलाई 03, 2020 Rating: 5

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