भीष्म पितामह को क्यों मिली काटो की शय्या? Curse of pitamaha bhishma in hindi. Why pitamaha sleep on arrow in Hindi
महाकाव्य महाभारत मै भीष्म पितामह एक ऐसे पात्र है जिन्होंने जिस निस्वार्थ भाव से हस्तिनापुर कि सेवा की थी वो शायद ही किसी अन्य ने कि होगी। परन्तु इतनी सेवा के बाद भी उन्हें बाणों की शय्या पर लेटकर जो अपार कष्ट भोगने पड़े उनसे तो आप भलीभांति परिचित होंगे. महाभारत युद्ध के समाप्ति के कई दिन बाद भी वे उन नुकीले बाणों की शय्या से मुक्ति नहीं पा पाए. अब ऐसे मै आप लोगो के मन मै भी यह सवाल उठ रहा होगा कि क्यों उन्हें इतनी कठोर पीड़ा सेहनी पड़ी तो आज हम आपको बताएंगे कि क्या कारण था कि पितामह भीष्म को 58 दिनों तक कठिन पीड़ा सहते हुए बाणों की शय्या पर लेटे रहना पड़ा.
जब अर्जुन द्वारा चलाए गए बाणों से पितामह जमीन पर जा गिरे उसके बाद कई शल्य चिकित्सको को उनका इलाज करने को भेजा गया किन्तु वे सभी से यह कहकर इलाज को ना कहते रहे की शाम होते ही वे अपने प्राण त्यागने वाले है. क्यूंकि उन्हें उनके पिता शांतनु द्वारा इच्छा मृत्यु का वरदान था इसलिए वे अपने मन से मृत्यु को रोके रख सकते थे. लेकिन जब शाम हो गई तब भी वे अपने प्राण त्यागने मै असमर्थ हो रहे थे. हालांकि इस दौरान उनके सभी अपने उनसे मिलते आते रहे. और वे मन ही मन सोचते रहते की क्यों उन्हें ही इस काटो की शय्या पर सोना पड़ा. एक दिन जब भगवान श्री कृष्णा उनसे मिलने आते हैं तब उनसे रहा नहीं जाता और वे पूछ बैठते हैं कि हे मधुसूदन मुझे अपने पिछले 10 जन्मों के सभी पाप और पुण्य याद है और इन बीते 10 जन्मों में मैंने शायद ही कोई ऐसा पाप किया हो जिस कारण मुझे यह पीड़ा सेहने को मिली हो फिर आखिर विधाता ने मुझे ही क्यों इस अपार कष्ट को भोगने के लिए चुना?
तब श्री कृष्णा ने कहा कि हे पितामह आपको सिर्फ अपने पिछले के 10 जन्म याद है लेकिन मुझे आपके सभी जन्म ज्ञात है और मै आपको उन जन्मों तथा उनमें किया पापो के बारे मै भी बता सकता हूं जिससे आपको ज्ञात हो जाएगा कि आपको यह पीड़ा क्यों सेहनी पड़ रही हैं.
श्री कृष्ण भगवान आगे कहते हैं की यह बात आपके 10 जन्मों से पूर्व की है जब आप एक राजकुमार थे और शिकार करने की इच्छा से एक वन से दूसरे वन घूमते थे. ऐसे ही एक बार जब आप एक वन से जा रहे थे तब आप के मार्ग में एक सांप आया और आपने बिना कुछ सोचे समझे उस सांप को मार्ग से उठाकर झाड़ियों में फेंक दिया. सांप उन काटो के वृक्ष में अटका रहा और जितना वह बाहर निकलने का प्रयास करता उतना ही और फंसता जाता. इसके बाद करीब 18 दिनों तक वो सांप वहीं पर अटका रहा और इन दिनों में वह भगवान से एक ही प्रार्थना करता रहा कि हे भगवान जिस तरह मैं कष्ट सेह रहा हूं उसी तरह के कष्ट आप उस राजकुमार को भी देना और हे पितामह इसी वजह से आप इन कष्ट को भोग रहे है.
इसके बाद पितामह आगे पूछते की हे मुरलीधर अगर ऐसा है तो मुझे इन पापों की सजा पिछले 10 जन्मों में क्यों नहीं मिली? पितामह के इस सवाल पर भगवान कृष्ण कहते हैं कि इसके पीछे का कारण यह है कि बीते 10 जन्मों में आपने कोई भी पाप नहीं किए. इस कारण यह श्राप आपको नहीं लगा था. लेकिन जब इस जन्म मै आपने हस्तिनापुर की रक्षा का प्रण लिया था तब सबकुछ सामने होते हुए भी आपने उस दुराचारी दुर्योधन का साथ दिया और यही से आपके पहले पाप की शुरवात हो गई थी इसके बाद आपने दूसरा पाप तब किया जब पांडवों के साथ द्यूत क्रीड़ा में छल और कुलवधु द्रौपदी का चीरहरण होते हुए आपने चुप चाप सबकुछ देखा और किसी को टोका नहीं और इन्हीं पापो का यह परिणाम है.
तो देखा अपने कि किस तरह से हमारे द्वारा किए गए सत्कर्म ही हमें दुख से बचाते हैं और हमारे द्वारा किए गए दुष्कर्म हमारे कष्टों को और भी बढ़ा देते हैं. इसलिए सत्कर्म करते रहे और भगवान का नाम लेते रहे.
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भीष्म पितामह को क्यों मिली काटो की शय्या? Curse of pitamaha bhishma in hindi. Why pitamaha sleep on arrow in Hindi
Reviewed by Mohit patil
on
मई 16, 2020
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